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आदमी की औकात कविता

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1.कुछ मीटर कपडे में थोड़ा सा कफ़न, थोड़ी सी मिट्टी में हो गया दफ़न,ना कुछ माल काम आया,ना कुछ सौगात बस इतनी सी है आदमी की औकात।       2.चार कंधो पर चला हैं, जीवन भर लोगो को तला है, धरी की धरी रह गई जात पात बस इतनी सी है आदमी की औकात। 3.माँ -बाप-भाई-बहन सबका छूट गया साथ,लोग भी कर रहे है तेरे बारे में सिर्फ बात, बस इतनी सी है आदमी की औकात। 4.जीवन में रंज रह गई, थोड़ी सी कसक रह गई, कोई ना रहा तेरे साथ, तेरा शरीर भी हो गया राख , बस इतनी सी है आदमी की औकात बस इतनी सी है आदमी की औकात। 🙏🏻मयंक शुक्ला🙏🏻

पुराने दौर पर शानदार पंक्तिया

🙏🏻पुराने दौर पे शानदार पंक्तिया 🙏🏻 1.वो दौर पुराने नहीं आते, गुजरे हुए ज़माने नहीं आते। 2.जी भर के जिलो जिंदगी के हसीं पलों को यारो,क्योंकि ये जिंदगी में दोबारा खुशिया फैलाने नहीं आते।  3.अभी साथ होतो एक दूसरे से खफा हो रहे हो, बिछड़ने के बाद कोई मनाने नहीं आते। 4.जिंदगी के एक एक हसीन पलो को चुरा लो,क्योंकि इन पलो के रिपीट तराने नहीं आते। 5.आज साथ हो तो जी भर के टहर लो, कल बिछड़े हुए लोग मिलने -मिलाने नहीं आते। 6.भरा हुआ है रिश्तो का समुन्दर तुम्हारे पास, सूखे हुए झरनों में तो जीव-जंतु समय बिताने नहीं आते। 7.जो खुदगर्ज लोग तुम्हे अच्छे वक़्त में अच्छे लगते है, ये वक़्त की मार पर मरहम लगाने नहीं आते। वो दौर पुराने नहीं आते,गुजरे हुए ज़माने नहीं आते। 🙏🏻मयंक शुक्ला🙏🏻9713044668