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"वो पिता होता है"

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                पिता पर लिखी गयीं कुछ पंक्तिया                                " वो पिता होता है" 1.वो बूढ़ा होकर भी जवानों जैसी मेहनत करता है,  जो बच्चो द्वारा की गई फरमाइश को चंद लम्हो मे ही पूरा करता है, जो बीमार होते हुए भी बीमार ना लगता है, वो पिता ही होता है। 2.कभी मोची बनकर , कभी कंडक्टर बनकर अनगिनत रूपो में वो दिखता है, पिता वो पेड़ होता है जिसके साये में छाव का सुखद एहसास होता है, जो बूढ़ा होकर भी बूढ़ा नही होता है, वो पिता होता है। 3.जो बेटी की शादी में हर किसी के हाथ जोड़ता है,वो बेटी की खुशी के लिये अपनी जीवन भर की कमाई न्यौछावर करता है, मेरी लाडली बेटी खुश रहेगी ये सोचकर जीता है , वो पिता होता है। 4.जो बेटी की विदाई में एक आँसू आँख में ना लाता है, बेटी की खुशी के लिए एक-एक पैसा जुटाता है,दहेज की मांग पर जो बेचैन हो जाता है,बेटी को विदा करके जो मन ही मन रोता है ,वो पिता होता है। 5. जो आर्थिक तंगी में भी घर मे एहसास ना होने देता है, जो चंद पैसो  में भी बच्चो के लिए सबकुछ खरीदने का हौसला रखता है, जो बच्चों की फीस के लिये दर- दर भटकता है, वो पिता होता है।

कुछ दर्द उन बच्चीयों के लिए

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बच्चीयों के लिए दिल से निकली कुछ पंक्तिया और मन व्याकुल है, हमे सोचना पड़ेगा कि हम कहा है।         "मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु" 1. नफरतो के रंग में मुझे ना ढालो, आपसी द्वेष आपस मे ना पालो, मै तो आज भी दिल से सच्ची हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी  किसी की बच्ची हु। 2.मुझे क्या पता कौन हिन्दू, मुस्लिम ,सिख ,ईसाई।, मैने तो पढ़ा था कि ये है आपस मे भाई -भाई, मै तो अभी भी उम्र और समझ मे कच्ची हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु। 3.उन्होंने मुझे पास बुलाया बेटी बोलकर, मुझे क्या पता था वो मुझे रख देगा हैवानियत से तोलकर। मै तो भगवान के आगे भी कई दफा चीखी हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु। 4. ना जाने कितनी हैवानियत का रंग चढ़ा था उनपर, कितनी दफा मुझे नोचा गया एक-एक कर, क्या पता उन दरिंदो को कितने दर्द में तड़पी हु , मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु। 5.मै भूखी थी, प्यासी थी, दर्द में कराह रही थी, लेकिन उन दरिंदो को तो मै बस हवस नजर आ रही थी, उन दरिंदो को ना छोड़ना दिल से आवाज निकाली हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु।