कुछ दर्द उन बच्चीयों के लिए

बच्चीयों के लिए दिल से निकली कुछ पंक्तिया और मन व्याकुल है, हमे सोचना पड़ेगा कि हम कहा है।
        "मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु"

1. नफरतो के रंग में मुझे ना ढालो, आपसी द्वेष आपस मे ना पालो, मै तो आज भी दिल से सच्ची हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी  किसी की बच्ची हु।

2.मुझे क्या पता कौन हिन्दू, मुस्लिम ,सिख ,ईसाई।, मैने तो पढ़ा था कि ये है आपस मे भाई -भाई, मै तो अभी भी उम्र और समझ मे कच्ची हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु।

3.उन्होंने मुझे पास बुलाया बेटी बोलकर, मुझे क्या पता था वो मुझे रख देगा हैवानियत से तोलकर। मै तो भगवान के आगे भी कई दफा चीखी हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु।

4. ना जाने कितनी हैवानियत का रंग चढ़ा था उनपर, कितनी दफा मुझे नोचा गया एक-एक कर, क्या पता उन दरिंदो को कितने दर्द में तड़पी हु , मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु।

5.मै भूखी थी, प्यासी थी, दर्द में कराह रही थी, लेकिन उन दरिंदो को तो मै बस हवस नजर आ रही थी, उन दरिंदो को ना छोड़ना दिल से आवाज निकाली हु, मुझे ना नोचो बाबा मै भी किसी की बच्ची हु।
                        ✍🏼मयंक शुक्ला✍🏼
Justice for ashifa, justice for sasaram girl child

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