"माँ"
माँ से दूर होते तो माँ का एहसास कैसे होता है, उस पर कुछ पंक्तिया।
शीर्षक है- "माँ"
1. जब ये शरीर थक हारकर घर जाता है, माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है। पल-पल खोजता हु तुझे इन आँखों से,पर ना जाने क्यों तुझे ढूंढ नही पाता है। माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है।
2. लेकिन माँ तो माँ होती है,बच्चे का दुःख उस्से देखा नहीं जाता है। एक हवा का झोंका तेरा एहसास करा जाता है, माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है।
3. जब ये मन खुद को अकेला पाता है, इस छल रूपी दुनिया में रहा नहीं जाता है। लेकिन तेरी दुआओ का असर रह जाता है,माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है।
4. इस दुनिया के प्रपंचो में खुद को उलझा हुआ पाता है, तो तेरे ममता के आसरे में ये मन खुद चला जाता है। माँ तेरी यादो का झरोखा ,इस नन्हे बेटे को रुला ही देता है, माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है। माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है। ✍मयंक शुक्ला✍8770988241,9713044668
शीर्षक है- "माँ"
1. जब ये शरीर थक हारकर घर जाता है, माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है। पल-पल खोजता हु तुझे इन आँखों से,पर ना जाने क्यों तुझे ढूंढ नही पाता है। माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है।
2. लेकिन माँ तो माँ होती है,बच्चे का दुःख उस्से देखा नहीं जाता है। एक हवा का झोंका तेरा एहसास करा जाता है, माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है।
3. जब ये मन खुद को अकेला पाता है, इस छल रूपी दुनिया में रहा नहीं जाता है। लेकिन तेरी दुआओ का असर रह जाता है,माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है।
4. इस दुनिया के प्रपंचो में खुद को उलझा हुआ पाता है, तो तेरे ममता के आसरे में ये मन खुद चला जाता है। माँ तेरी यादो का झरोखा ,इस नन्हे बेटे को रुला ही देता है, माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है। माँ तेरा प्यार बहुत याद आता है। ✍मयंक शुक्ला✍8770988241,9713044668
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