"कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो"
"कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो"
1. वो मेरी बचपन की दोस्ती प्यारी, जिसमे ना होती थी गद्दारी। पल-पल झगड़ लेते थे हम, लेकिन अगले ही पल में एक साथ होते थे हम। एक बार ही सही फिर से मौका दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो........
2. वो दोस्तो के साथ घर -घर घूमने जाना, सुबह से शाम तक घर ना लौट के आना।
लड़ाई होने पर घर रोते हुए आना,अब ना खेलूंगा इनके साथ ये बात माँ को बताना।
मेरे बचपन वाली लड़ाई ही करवा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो.......
3.वो दोस्तो के साथ नदी पर नहाना, वही से क्रिकेट खेलने जाना।
पापा के लौटने के पहले घर आना , और बेफिक्र हो जाना।
यारो मुझे वो यादो की नदी में डूबा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो.........
4.शाम को मिलते ही दिनभर की बाते करना, चौपालों पर बैठकर एक दूसरे पर आरोप मढ़ना।
आज इससे लड़ाई, कल उससे झगड़ा फिर अगले ही पल साथ हो जाना।
बचपन की मासूमियत को लौटा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो......
5.आज के दौर में परिवर्तन तो हुआ है, उन चौपालों की बैठको को मोबाइल ने छिन लिया है।
अब साथ रहकर भी आपस मे ना बात करते है हम, पहले जैसा बचपन अब नही जीते है हम।
थोड़ी देर के लिये ही मुझे बचपन की यादो में उलझा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो.......
✍🏼मयंक शुक्ला✍🏼8770988241, 9713044668
1. वो मेरी बचपन की दोस्ती प्यारी, जिसमे ना होती थी गद्दारी। पल-पल झगड़ लेते थे हम, लेकिन अगले ही पल में एक साथ होते थे हम। एक बार ही सही फिर से मौका दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो........
2. वो दोस्तो के साथ घर -घर घूमने जाना, सुबह से शाम तक घर ना लौट के आना।
लड़ाई होने पर घर रोते हुए आना,अब ना खेलूंगा इनके साथ ये बात माँ को बताना।
मेरे बचपन वाली लड़ाई ही करवा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो.......
3.वो दोस्तो के साथ नदी पर नहाना, वही से क्रिकेट खेलने जाना।
पापा के लौटने के पहले घर आना , और बेफिक्र हो जाना।
यारो मुझे वो यादो की नदी में डूबा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो.........
4.शाम को मिलते ही दिनभर की बाते करना, चौपालों पर बैठकर एक दूसरे पर आरोप मढ़ना।
आज इससे लड़ाई, कल उससे झगड़ा फिर अगले ही पल साथ हो जाना।
बचपन की मासूमियत को लौटा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो......
5.आज के दौर में परिवर्तन तो हुआ है, उन चौपालों की बैठको को मोबाइल ने छिन लिया है।
अब साथ रहकर भी आपस मे ना बात करते है हम, पहले जैसा बचपन अब नही जीते है हम।
थोड़ी देर के लिये ही मुझे बचपन की यादो में उलझा दो, कोई मेरे बचपन के पल लौटा दो.......
✍🏼मयंक शुक्ला✍🏼8770988241, 9713044668
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