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मैने हार कब मानी है

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     ऊर्जा का संचार करने के लिए कुछ पंक्तिया प्रस्तुत कर रहा हु शीर्षक है-                     "मैने हार कब मानी है" 1.माना घना अंधेरा है , दूर अभी सबेरा है। पग पग चलना है, इन दुखो से लड़ना है। यही तो जीवन की रवानी है, लेकिन मैंने हार कब मानी है। 2.समस्याओ ने घेरा है , डाला मुझ पर डेरा है। अंधेरो से तो मेरा पुराना नाता है, इन्हें मेरा घर कुछ ज्यादा ही भाता है। दुख सुख तो इस जीवन की कहानी है, लेकिन मैंने हार कब मानी है। 3. अपनो के ही चक्रव्यूह में घिर गया हूं, ये ना सोचो कि डर गया हूं। निकलना मुझे भी आता है, संघर्षो से तो मेरा पुराना नाता है। मेरे अंदर दौड़ रहा खून खानदानी है, मैने हार कब मानी है। 4.मुझसे ना कभी हो पायेगा ऐसा कभी मैने सोचा नही। लाख मुश्किलें आयी लेकिन मैं कभी हारा नही। आंधी तूफानो ने कब बरगद की जड़े उखाड़ी है। आज उनकी तो कल अपनी भी बारी है। अरे इन सबसे तो मेरी दोस्ती बहुत पुरानी है, मैने हार कब मानी है। 5. जब कभी भी हालातो के सामने टिक ना पाओ। जब कभी भी परिस्थितियों के सामने कदम डगमगाओ। तब इन पंक्तियों को पढ़ना, तुम्ह