"ना जाने क्या-क्या हो रहा है!"
"ना जाने क्या क्या हो रहा है!" 1. गॉवो की संस्कृति जा रही है, शहर वाली गॉवो में बहुये बनकर आ रही है, गॉवो के बेटों को फिर शहर ले जा रही है, ये देखकर अकेला बूढ़ा बाप रो रहा है, ना जाने क्या- क्या हो रहा है...... 2. आज का इंसान मुह पर मीठा और अपने अंदर जहर घोल रहा है, चौपालों को मोबाइलों ने छीन लिया है, पास बैठा आदमी-आदमी से नही बोल रहा है, ना जाने क्या क्या हो रहा है........ 3.कोई मेहबूब की यादो में रो रहा है तो कोई मेहबूब के मिलने पर सर पिट रहा है,आजकल फूल पर फूल मेहबूब को बाटे जा रहे है, और अपने माँ बाप के प्यार को भूल रहा है, ना जाने क्या- क्या हो रहा है...... 4.पूंजीपति पेट कम करने के लिए दौड़ रहा है, गरीब पेट भरने के लिए दौड़ रहा है, जो ये कहकर आये थे गरीबी हटाएंगे वो सत्ता में आते ही गरीबो को महंगाई के तराजू में तोल रहा है, ना जाने क्या- क्या हो रहा है...... ✍🏼मयंक शुक्ला✍🏼 8770988241, 9713044668