" मेरे सपनों का भारत कुछ ऐसा हो'
एक अतुलनीय भारत के बारे मे मैने सोचा जिन्हें पंक्तियों में उतारा है ,पसन्द आये तो प्रतिक्रिया जरूर दे शीर्षक है "काश मेरे सपनों का भारत कुछ ऐसा हो" 1.जहा ना नफरतो का रंग हो, आपसी प्रेम और दिल मे कुछ करने की उमंग हो। जहा भी जाये सब संग-संग हो, सब पर मोहब्बतों के रंग हो। जहा सबकुछ पैसा ना हो, मेरे सपनों का भारत कुछ ऐसा हो। 2.ना किसी को जाति के नाम पर दुत्कारा जाता हो, और ना ही कोई बच्चा गरीबी के कारण पढ़ाई से वंचित रह जाता हो। जहा ना दहेज की लालसा में बेटिया जलायी जाती हो, और जहा ना ही बेटे की लालच मे गर्भ में ही बेटिया मिटायी जाती हो। जैसा मैंने लिखा बस वैसा का वैसा हो, मेरे सपनों का भारत कुछ ऐसा हो। 3. जहा बच्चे बड़े होने पर भी अपनी माँ के साथ रहते हो, बड़ो के सामने एक लब्ज तक ना बोलते हो। जहा बहु में बेटी नजर आती हो, और बहू को भी सासु माँ की खटपट बहुत भाती हो। जहा पिताजी को आज भी "बाबुजी" का दर्जा हो, मेरे सपनो का भारत कुछ ऐसा हो।...