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Showing posts from September, 2017

"रावण"

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रावण नाम सुनते ही हमारे मानसपटल दानव,दैत्य, राक्षस की छवि आ जाती है। लेकिन रावण क्या वाकई में वैसा इंसान था जैसा हम सोचते है,क्या वाकई में हम रावण का पुतला जलाने लायक है। रावण एक ऐसा किरदार जिसे बुराई का प्रतिक माना जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए जलाया जाता है,लेकिन क्या रावण वाकई में इतने बुरे इंसान थे जितना आज का इंसान हुआ जा रहा है। रावण जी को प्रखण्ड पंडित कहा जाता था, हा उन्होंने सीता माता का अपरहण किया था लेकिन उन्होंने कभी माता सीता को जबरजस्ती छूने की कोशिस भी नहीं की, लेकिन आज का इंसान तो ना जाने क्या क्या कर रहा है? रावण जी ने तो अपने दशोशिश निकाल कर अपना किरदार बताया लेकिन आज के इंसान में न जाने कितने रावण(बुराई) छिपी हुई है। रावण जैसा भाई तो हर बहन को मिले जिसने अपनी बहन के लिए पूरे कुल और स्वयं को भी नष्ट कर लिया। अब में आपसे कुछ प्रश्न पूछना चाहता हु और उम्मीद करता हु आप सब अपने अंतर्मन से सोचेंगे, अगर रावण गलत है तो हर वो इंसान गलत है, जो किसी परायी स्त्री पर नजर रखता है,जो अपने भाई का अपमान करता है,जो अपने अहंकार में जीता है,जिसमे कोई ना कोई बुराई जरूर है क्य...

"हा मेरे देश में ही तो होता है"

1.कोई करोडो लेकर विदेश चला जाता है, गरीब किसान कर्ज में रोज फाँसी लगाता है।। हा मेरे देश में ही तो होता है...... 2. दहेज़ के नाम पर बेटियो को जलाया जाता है, देश की बेटियों का गर्भ में ही गला दबाया जाता है। हा मेरे देश में ही तो होता हैं......... 3.55 नंबर वाला अफसर बन जाता है, 80 नंबर वाला रोजगार तलाश में दर दर भटकता है। हा मेरे देश में ही तो होता है........ 4.गरीबो का नेता घोटाले पर घोटाले करता जाता है, फिर भी मेरे देश का आम इन्सान अच्छे दिन की आस लगाता है। हा मेरे देश में ही तो होता है......... 5.ना जाने कब कोई आदमी आम से खास बन जाता है, जिनका विरोध करके सत्ता में आया था उनसे ही हाथ मिलाता हैं। हा मेरे देश में ही तो होता है....... 6. वंशवाद की राजनीती को बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है, हमारे देश में विकास का पैमाना भी जाति के आधार पर नापा जाता है। हा मेरे देश में ही तो होता है....... 7.देश के खिलाफ बोलने वालों को अभिव्यक्ति की आजादी बताया जाता है, एक आतंकवादी के लिए आधी रात तक कोर्ट चलाया जाता है। हा मेरे देश में ही तो होता है....... 8.फिर भी मेरा देश मुझे सबसे प्यारा लगता है,...

" थोड़ा मुस्कुराया जाये"

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1.चलो थोड़ा मुस्कुराया जाये, जिंदगी की परेशानियों को भुलाकर फिर से चेहरे को खिलखिलाया जाये। बहुत दिन हो गए है अपनों से बात किये हुए, चलो आज उनसे भी थोड़ी देर बतियाया जाये।। चलो थोड़ा मुस्कुराया जाये............ 2.पैसा ,तरक्की ,काम इनमे बहुत उलझे हुए है, अरे साहब इन्हें छोड़कर अपने लिए भी जिया जाये।। फख़त आरजू थी पहले चाँद छूने की,अब कुछ देर के लिए ही सही अपने चाँद को निहारा जाये।। चलो थोड़ा मुस्कुराया जाये......... 3.जिम्मेदारियों ने जकड़ रखा है जंजीरो से,कुछ देर के लिए ही सही इनसे भी पीछा छुड़ाया जाये।। अपने यारो, रिश्तेदारों पर बहुत गर्व है, बुरा वक़्त है चलो आज इन्हें भी आजमाया जाये।। चलो थोड़ा मुस्कुराया जाये......... 4.बड़े -बड़े पलो की तलाश में दौड़े जा रहे हो, चलो आज छोटे-छोटे पलो का भी मजा उठाया जाये।। जिंदगी एक खुशनुमा एहसास है, इस एहसास को हँसी ख़ुशी बिताया जाये।। चलो थोड़ा मुस्कुराया जाये........ 5.तेरा-मेरा, अपना-पराया,सच्चा-झुठा बहुत कर लिया, क्यों ना अब सबको अपना बनाया जाये।। ऐ जिंदगी तेरी जिम्मेदारिया निभाते-निभाते थक चुके, मुनासिब होगा अब अपना भी हिसाब कराया जाये।। चल...

शेरो शायरी

1.दोनों दस्तक देंगे ये वादा किया था हर बार में ही पुकारू ये जरूरी तो नहीं।। 2. जिंदगी के कुछ फैसले तुम्हारे ख्वाबो को आगे बढ़ा देते है। 3.नाइ की दुकान सी हो गयी है जिंदगी बस काटे जा रहे है मिल कुछ नहीं रहा ।। 4. कबतक वेंटिलेटर पर रखते उस रिश्ते को साहब बेचैनी की सांसें जो ले रहा था।। 5.उसकी यादो में ना जाने कब खोता गया मै, मेरी कलम चली और मेरे शब्दों के बयां होती गयी वो।। 6.यू दिलो के फासले मिटा लेते तो अच्छा था,मानवता को गले लगा लेते तो अच्छा था, रोहिंग्या मुसलमानो के दर्द में नब्ज पढ़ी, कश्मीरी पंडितों का भी दर्द गुनगुना लेते तो अच्छा था।

शिक्षक

"शिक्षक एवम विद्यार्थी" शिक्षक एवम विद्यार्थी एक ऐसा रिश्ता जो पिता पुत्र से भी बढ़कर होता है।जीवन की नयी ऊचाइयों और आयाम देने के लिए शिक्षक की वैसे ही जरूरत होती है जैसे किसी गाड़ी चलाने के लिए पहियों की। किसी पौधे को विकसित करने के लिए अगर पानी की आवश्कयता होती है उसीप्रकार विद्यार्थी को विकसित करने के लिए शिक्षक की। आजकल  शिक्षा व्यवस्था को पैसो में तोला जा रहा है, आज के तकनिकी युग मे शिक्षक  एवम विद्यार्थी का रिश्ता भी कुछ प्रोफेशनल सा हो गया है। कितनी भी टेक्नोलॉजी क्यों ना आ जाये, लेकिन एक सजीव शिक्षक की जगह कोई नहीं ले सकता है। क्योंकि शिक्षक वरन एक पद नहीं है, बल्कि किसी मकान की वो नीव होता है जिसपर उस मकान की आधारशिला रची हुई होती हैं।मेरे जिवन में रहे सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से  रहे सभी शिक्षको जिन्होंने मुझे निरंतर विकास करने और मेरे जीवन रूपी मकान की आधारशिला रखने में मदद की, ऐसे शिक्षको का आभार एवम शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं। ✍मयंक शुक्ला✍