"आप धीरे-धीरे मरने लगते हो"

                    कुछ पंक्तिया शीर्षक है
               "आप धीरे- धीरे मरने लगते हो"

1.जब आप किसी बच्चे के साथ बच्चा नही बन पाते हो,जब आप अपने मन की नही सुन पाते हो, जब आप अपने मन की सुनकर भी अनसुना सा कर देते हो तब आप धीरे -धीरे मरने लगते हो...........................

2.जब आप थक-हार के घर जाते हो,जब आप सुबह से शाम तक मुस्कुरा नही पाते हो,जब आप परेशानियों में उलझ से जाते हो तब आप धीरे- धीरे मरने लगते हो..............

3. जब आप किसी परिस्थिति को जीत नही पाते हो,जब आप अपने मन से ही हार जाते हो,जब आप अपनी समस्या को खुद नही सुलझा पाते हो तब आप धीरे -धीरे मरने लगते हो .........

4.जब आप सब कुछ छोड़कर पैसो के पीछे भागते हो,जब आप सबकुछ पाकर भी बहुत कुछ खो देते हो, जब आप छोटे-छोटे पलो का मजा नही ले पाते हो तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हो.........

5. जब आप किसी जरूरतमंद की मदद नही कर पाते हो,जब आप किसी के दुख का हिस्सा नही बन पाते हो, जब आप भीड़ में भी अकेला महसूस करते हो तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हो..............

6.जब आप जीवन की भागदौड़ में अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हों, जब आप अपने काम का ही मजा नही ले पाते हो,जब आप औरो पर बोझ बन जाते हो तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हो...........

7.जब आप अपने घर की जिम्मेदारियां उठाते हो, जब आप सबकी ख्वाईशो के लिये अपनी ख्वाइश दबाते हो,जब आपके पास सबकुछ होते हुए भी चीजो का मजा नही ले पाते हो तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हो..........

8.जब आप अपनी कमाई से ज्यादा खर्च करने लगते हो, जब आप कर्ज करने लगते हो,जब आप अपनी चादर से बाहर पैर पसारते हो तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हो............

9.जब आप अपने लिए नही जी पाते हो, जब आप जीवन मे आये अच्छे पलो का मजा नही उठाते हो,जब आप इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद भी नही सम्भल पाते हो तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हो...............
✍🏻मयंक शुक्ला✍🏻9713044668, 08770988241

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