"याद आती है माँ"
जब बिन खाये सुबह से शाम हो जाती है तो याद आती है माँ।
जब एग्जाम देते जाते समय दही को कटोरी ना सामने आती है तो याद आती है माँ।
जब अपनो के द्वारा ही ठोकर खाता हूं तो याद आती है माँ।
जब दुनिया की चालाकियों को नही समझ पाता हूं तो याद आती है माँ।
कई दफा जब बिन खाये ही थककर सो जाता हूं तो याद आती है माँ।
जब कड़ी धूप में किसी का आचंल नही पाता हूं तो याद आती है माँ।
✍🏼मयंक शुक्ला 8770988241, 09713044668
जब एग्जाम देते जाते समय दही को कटोरी ना सामने आती है तो याद आती है माँ।
जब अपनो के द्वारा ही ठोकर खाता हूं तो याद आती है माँ।
जब दुनिया की चालाकियों को नही समझ पाता हूं तो याद आती है माँ।
कई दफा जब बिन खाये ही थककर सो जाता हूं तो याद आती है माँ।
जब कड़ी धूप में किसी का आचंल नही पाता हूं तो याद आती है माँ।
✍🏼मयंक शुक्ला 8770988241, 09713044668
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