"हे भारत माँ"

                   एक सैनिक की भारत माँ से बात
                       कविता का शीर्षक है
"माँ ये  तेरा स्वभिमान ना मिटने देगे हम, इस पावन मिट्टी का मान ना घटने देगे हम।"

1. माँ तेरे बच्चे इस धरा पर खड़े है सीना तान के, हे किसमे हिम्मत जो आँख उठा लेगा भारत के सम्मान पे।
बात अगर आयी लहू बहाने की तो लहू की नदियां तक बहा देगे हम, माँ ये स्वाभिमान ना मिटने देगे हम..........

2. एक शीश के बदले अनेको शीश लाने का प्रण लेते है, माँ तेरे सैनिक बेटे खून का कतरा-कतरा न्योछावर कर देते है।
घर की माँ का बेटा  ना आये तो गम नही, पत्नी का श्रृंगार न्योछावर हो जाये तो गम नही।
भारत माँ तेरे श्रृंगार में कुछ ना कमी होने देंगे, माँ ये स्वाभिमान ना मिटने देगे हम.............

3.माँ तेरे टुकड़े करने का इन गद्दारो में दम नही, ये बुजदिल गरजने वाले बादल है इनके बरसने का कोई मौसम नही।
भारत भूमि पर देखने की कोशिस की तो ये कभी ना देख पायेगे, अरे  जलती हुई राडो से इनकी आंखों की रोशनी को ओझल कर देंगे हम।
माँ ये तेरा स्वाभिमान ना मिटने देगे हम...........….....

4. हा मैने माँ से वादा किया था कि इस बार आऊंगा लौटकर, पत्नी से कहा था कि बाते करेगे जी भरकर।
अगर बात आएगी माँ तेरे शीश झुकाने की तो अपना शीश बलिदान कर देंगे हम
माँ ये तेरा स्वाभिमान ना मिटने देगे हम..........

5. माँ तेरे अनगिनत बेटे खड़े है बलिदान की राहो में, हिम्मत किसमे है जो हमला करेगा सिंहो घरानों में।
अगर वो जन्नत की चाह लेकर आते है, तो वादा है उनको जन्नत की सैर करायेगे हम, अरे अपनी गोलियों की बौछारों से दो गज जमीन भी नसीब ना होने देंगे हम, माँ ये तेरा स्वाभिमान ना मिटने देगे हम, इस पावन मिट्टी का मान ना घटने देंगे हम।
     
           जय हिंद जय भारत
         ✍🏼मयंक शुक्ला✍🏼

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