मोटिवेशनल कविता
जिंदगी का हौसला बुलंद करने के लिए आज कुछ पंक्तिया प्रस्तुत कर रहा हु।
जीवन मे कभी ना कभी असफलताओ का सामना करना पड़े तो ये पंक्तियां जरूर पढ़ना।
शीर्षक है
"उठ खड़ा हो सूरज कभी उगना
नही छोड़ता है"
1.हताश है तू, निराश है तू, खो चुका मन की आस है तू।
माना तुझे तेरे मन का मिला नही, अब तुझमे पहले जैसा हौसला नही।
बुढ़ा बाप भी कभी अपनी जिम्मेदारियों से मुँह नही मोड़ता है।
उठ, खड़ा हो सूरज कभी उगना नही छोड़ता है।
2. माना हादसों से टूट गया है तू, अपने ही अंदर बट गया है तू।
घनघोर अंधेरा है तो क्या हुआ, दूर अभी सबेरा है तो क्या हुआ।
चाहे अमावस की रात हो, सबेरा कभी आना नही छोड़ता है।
उठ, खड़ा हो सूरज कभी उगना नही छोड़ता है।
3. याद कर कभी चन्द्रमा का चांद था तू, अपने वक़्त का बेताज सरताज था तू।
अब तू क्यों इतना मायूस होता है, अरे मासूम बच्चा भी गिरकर ही चलना सीखता है।
स्वर्ण तभी निखरता है, जब वो तपता है।
उठ, खड़ा हो सूरज कभी उगना नही छोड़ता है।
4.अब नही कर पाऊंगा, मुझसे होता नही।
बिना संघर्ष के तो तितली का भी जन्म होता नही।
मन से हारा है, सच मे हारा नही है तू।
बुढ़ा शेर भी कभी शिकार नही छोड़ता है।
उठ, खड़ा हो सूरज कभी उगना नही छोड़ता है।
5.तूने सोच लिया तो निश्चित ही करेगा तू, लाख बाधाये आ जाये इनसे नही डरेगा तू।
अपने किये हुए पर तुझे एक दिन नाज होगा, फिर से तू अपने वक़्त का सरताज होगा।
एक छोटी सी चिंगारी मिल जाये तो तिनका आग पकड़ता है।
उठ, खड़ा हो सूरज कभी उगना नही छोड़ता है।
सूरज कभी उगना नही छोड़ता है............
✍🏻मयंक शुक्ला
9713044668, 8770988241
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